कल तक बंधू साथ बैठकर
पीते थे तुम ताड़ी
आज गले में माला डाली
बड़ी बढ़ा ली दाढी
इधर-उधर की बात बनाकर
सबका भविष्य बताते
किस राशी में कल क्या होगा
गूढ़ अर्थ समझाते
कैसे तुम विद्वान् बन गए
कुछ हमको बतलाओ
कैसे चमके अपनी किस्मत
हमको भी समझाओ
कैसे बदला रातोरात
चोला बाबा धारी
कैसे छूटी रात दिनों की
ताड़ी की बीमारी
सालों से था जिसका डेरा
वो चुंगी का ढाबा
रातो रात बन गया कैसे
चैनल “ताड़ी बाबा”
-कुशवंश
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